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सात बार विधायक रहे सिद्दीकी पर कोई आरोप नहीं है। लिहाजा मुस्लिम मतदाताओं में पैठ बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार उन पर डोरे डाल रहे हैं। नीतीश की इस पहल से जदयू के भीतर ही घमासान मचने की आशंका है।
दरअसल जदयू के मुस्लिम नेता बाहरी नेता की जगह जदयू के ही किसी मुस्लिम चेहरे को आगे करने के पक्ष में हैं। पार्टी का एक धड़ा महासचिव और विधान पार्षद कमरे आलम को पार्टी के मुस्लिम चेहरे के तौर पर पेश करना चाहता है।
हाल के दिनों में मुस्लिम मतदाताओं में उनके समर्थकों की संख्या बढ़ी है। वहीं पार्टी का दूसरा धड़ा राजद नेता सिद्दीकी के पक्ष में खड़ा है। इस बार के चुनाव में राजद ने सिद्दीकी की सीट बदलकर केवटी कर दी थी, जहां से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
उधर, राजद ने पार्टी में भितरघात करने और सिद्दीकी का सहयोग नहीं करने पर कई नेताओं के खिलाफ कार्रवाई भी की है। बावजूद इसके सिद्दीकी तेजस्वी के नेतृत्व से नाराज हैं।