
न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, देहरादून
Updated Fri, 11 Dec 2020 11:42 AM IST
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इसकी समीक्षा की जाए कि इतनी धनराशि वहन करने के बाद भी इसका परिणाम मिल पा रहा है या नहीं। शासन के पत्र के बाद निदेशालय ने समस्त सीईओ से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की है। प्रदेश के अशासकीय स्कूलों के संबंध में अनुसचिव कृष्ण कुमार शुल्क की ओर से शिक्षा निदेशक माध्यमिक शिक्षा को जारी निर्देश में कहा गया है कि चार जनवरी 2017 के शासनादेश के अनुसार वित्तीय संसाधनों को देखते हुए अशासकीय स्कूलों को वेतन अनुदान के स्थान पर आवर्तक अनुदान दिए जाने की व्यवस्था की गई है।
हालांकि जिन स्कूलों की ओर से धनराशि की मांग की गई है वे स्कूल इस शासनादेश से पहले ही अनुदान सूची में शामिल होंगे। शिक्षा निदेशालय को जारी निर्देश में कहा गया है कि अशासकीय स्कूलों पर हर साल भारी भरकम धनराशि वहन करने के बाद भी राज्य को इसके परिणाम मिल पा रहे हैं या नहीं।
इसकी अनिवार्य रूप से समीक्षा की जाए। यदि अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं हो रहे हैं तो क्या शासकीय अनुदान के स्थान पर इन स्कूलों को अपने संसाधनों से ही वेतन आदि वहन किए जाने के लिए कहा जाना उचित होगा। यह भी देखना होगा कि क्या समस्त स्कूलों में पर्याप्त छात्र संख्या उपलब्ध है।
इस संबंध में शासन को स्पष्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाए। शासन के शिक्षा निदेशालय को जारी इस निर्देश के बाद निदेशालय ने समस्त मुख्य शिक्षा अधिकारियों से और मुख्य शिक्षा अधिकारियों ने समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब की है।
प्रदेश में पांच सौ से अधिक अशासकीय स्कूलों में 7500 से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। सरकार से मिलने वाले अनुदान से इन स्कूलों को वेतन दिया जाता है। जिन स्कूलों को पहले से अनुदान दिया जा रहा है उनका अनुदान वापस नहीं लिया जा सकता। यदि इन स्कूलों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की गई तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। – अनिल शर्मा, प्रांतीय महामंत्री, अशासकीय माध्यमिक शिक्षक संघ