
पीएचक्यू की प्रशिक्षण शाखा ने कोरोना आपदा को अवसर में बदला और एक पुलिसकर्मी की ट्रेनिंग पर होने वाला खर्च कम कर दिया. पहले एक पुलिस कर्मी की ट्रेनिंग पर 1869 रुपए खर्च होता था. अब यह खर्च केवल 100 रुपए हो गया है. एक साल में औसत 300 पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण की तुलना में साल 2020 में उतने ही खर्च में 8389 पुलिसकर्मियों ने ट्रेनिंग ले ली.
वर्टिकल इन्टरेक्शन कोर्स की ट्रेनिंग
कोविड-19 महामारी की आपदा को पुलिस मुख्यालय के प्रशिक्षण शाखा ने अपने नवाचारों से अवसर में बदला. पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी के मार्गदर्शन में पीएचक्यू की प्रशिक्षण शाखा ने महामारी के कारण बदली हुई परिस्थितियों के अनुरूप सूचना प्रौद्योगिकी का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग कर साल 2020 में आठ हजार तीन सौ से अधिक पुलिसकर्मियों को ट्रेंड कर दिया.
प्रशिक्षण मूल्यांकन में सामने आयी बात
मध्यप्रदेश पुलिस अकादमी ने प्रशिक्षण पर हुए खर्च का अध्ययन किया तो पता चला अकादमी में पिछले वर्षो में एक पुलिस कर्मचारी की ट्रेनिंग पर 1869 रुपए खर्च होता था.लेकिन कोरोना काल में सिर्फ 100 रूपये खर्च हुए. इसी तरह परंपरागत ट्रेनिंग में एक साल में औसतन 300 पुलिस वालों की ट्रेनिंग हो पाती थी लेकिन कोरोना काल में आधुनिक तरीकों से आठ हजार तीन सौ से अधिक पुलिसकर्मी ट्रेंड कर दिए गए. प्रशिक्षण मूल्यांकन 2020 की सर्वे रिपोर्ट का डीजीपी जौहरी ने विमोचन किया. उन्होंने प्रशिक्षण विभाग की तारीफ की और कहा आगे भी इसका फायदा उठाया जाएगा.