
सदन में सीमा पर भारत और चीन के बीच वास्तविक हालात बताते हुए उन्होंने इस प्रक्रिया के बारे में भी बताया है. इस समझौते के बाद रक्षामंत्री सिंह ने हालात सुधरने की उम्मीद जताई है. आइए समझते हैं कि सीमा पर सेना वापसी का काम कैसे शुरू होगा और इस दौरान दोनों देशों की पोजिशन क्या होगी.
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48 घंटों में होनी है बातचीत
भारत-चीन सेना के बीच समझौते की बात को लेकर रक्षा मंत्री ने कहा है कि दोनों देशों के बीच सीनियर कमांडर स्तर की एक मीटिंग होगी. यह मीटिंग 48 घंटों के भीतर होनी है. कहा जा रहा है कि इस बातचीत में सीमा पर तनाव का कारण बने दूसरे मुद्दों पर भी बात की जाएगी.
दोनों सेनाओं की लोकेशन बदलेगी
इस समझौते के हिसाब से दोनों सेनाएं अग्रिम मोर्चे पर लौटेंगी. इसके बाद चीन की सेना नॉर्थ बैंक में फिंगर 8 की पूर्व दिशा की तरफ होगी. जबकि, भारतीय सेना की टुकड़ियां फिंगर 3 के पास स्थायी बेस धन सिंह थापा पोस्ट पर होंगी. वहीं, दक्षिण किनारे को लेकर भी सेनाएं इसी तरह की कार्रवाई करेंगी.
निर्माण हटेगा और पुरानी स्थिति लौटेगी
खबरें आती रही हैं कि चीन सीमा पर निर्माण करने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, रक्षा मंत्री ने बताया कि 2020 में दक्षिण किनारे पर किए गए सभी निर्माणों को हटाया जाएगा. इसके बाद पुरानी स्थिति दोबारा बहाल की जाएगी.
फिलहाल रुकेगी पेट्रोलिंग
नए समझौते के तहत दोनों सेनाएं उत्तरी किनारे पर होनी वाली पेट्रोलिंग को अस्थायी रूप से रोकेंगे. इस दौरान कई और गतिविधियों पर भी रोक लगेगी. हालांकि, राजनीतिक स्तर पर बातचीत के बाद सीमा पर पेट्रोलिंग दोबारा शुरू हो सकेगी.
अब आगे क्या
सदन में सीमा की जानकारी देने के दौरान राजनाथ सिंह ने यह साफ किया है कि इस बातचीत में भारत का कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. सिंह ने कहा है कि एलएसी पर जारी पुराने मसलों को लेकर बातचीत होगी. सरकार इस पर ध्यान दे रही है.