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दरअसल, अंग्रेजों के शासनकाल में प्रेमनगर क्षेत्र में द्वितीय विश्व युद्ध के कैदियों को रखा जाता था। उनके स्वास्थ्य और साफ-सफाई को लेकर उस समय अंग्रेजों ने प्रेमनगर क्षेत्र के केहरी गांव, स्मिथनगर और रांगड़वाला मौजा क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया था। तभी से यह क्षेत्र प्रतिबंधित क्षेत्र में आते हैं।
यहां अभी भी निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध है। कैंट बोर्ड यहां नक्शे पास नहीं करता। जबकि यहां के लोग अपनी निजी भूमि पर रहते हैं। लंबे समय से इन क्षेत्रों को प्रतिबंध से मुक्त करने की मांग जा रही है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है। अब इन क्षेत्रों को प्रतिबंध मुक्त करने के लिए गढ़ी कैंट बोर्ड ने प्रस्ताव बोर्ड बैठक में पारित करा लिया है। जल्द ही प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय भेजा जाएगा।
प्रतिबंधित क्षेत्र होने के कारण यहां के लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है। खासकर तौर पर अपनी भूमि होने के बाद भी वह इस पर निर्माण नहीं करते। इस संबंध में पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और निर्मला सीतारमण को पहले भी ज्ञापन सौंपा गया था। कैंट बोर्ड की बैठक में भी उन्होंने कई बार इस मुद्दे को उठाया। अब कैंट बोर्ड की ओर से प्रस्ताव भेजा जा रहा है। इसके लिए वह कैंट बोर्ड का आभार प्रकट करते हैं।
-कमल राज, निवर्तमान सभासद
कैंट गढ़ी के केहरी गांव, स्मिथनगर, रांगड़वाला मौजा क्षेत्र अंग्रेजों के जमाने से प्रतिबंध झेल रहे हैं। वर्तमान समय में इन प्रतिबंधों के कोई मायने नहीं रह गए हैं। लिहाजा इन क्षेत्रों को प्रतिबंध से मुक्त करने के लिए रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा गया है। उम्मीद है कि इस पर रक्षा मंत्रालय उचित कार्रवाई करेगा। इससे यहां के लोगों को काफी लाभ मिलेगा।
-तनु जैन, सीईओ कैंट गढ़ी