
प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : सोशल मीडिया
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हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप को संदेह के दायरे में लेते हुए आरोपी को जमानत दे दी। अदालत ने पाया कि दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला के हाथ पर आरोपी के नाम का टैटू बनाया गया था। अदालत ने माना कि बिना महिला की सहमति से टैटू नहीं बनाया जा सकता। इस प्रकार दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला के हाथ पर आरोपी के नाम का टैटू लिखा होना, आरोपी को जमानत दिलवाने में अहम भूमिका निभाई।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने आरोपी को जमानत प्रदान करते हुए कहा है कि टैटू कोई आम आदमी नहीं खोद सकता। उसके लिए दक्षता की जरूरत है। महिला ने अपने आरोप में यह भी नहीं कहा कि आरोपी का संबंध टैटू के व्यवसाय से है। अदालत ने कहा कि किसी महिला के हाथ पर टैटू बिना उसकी सहमति से नहीं खुदवाया जा सकता है। टैटू खुदवाने के लिए शांत रहने की जरूरत है।
वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने तर्क रखा कि महिला उनके मुवक्किल के साथ तीन साल से रिलेशनशिप में थी और उनके मुवक्किल द्वारा रिलेशनशिप जारी रखने से मना करने पर महिला ने उस पर दुष्कर्म का आरोप लगा दिया। अदालत ने महिला के उस आरोप पर भी संदेह जताया कि आरोपी ने उसे बंधक बनाकर जबरदस्ती उसके हाथ पर टैटू खुदवा दिया है।
अदालत ने कहा कि आरोप पत्र में कहा गया है कि महिला को जहां बंधक बना कर रखने की बात कही गई है, वहां लड़की खुद किराएदार के रूप में रह रही थी। अदालत ने इन सभी तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए आरोपी को 25 हजार रुपये के व्यक्तिगत मुचलके व इतनी ही राशि के एक अन्य मुचलके पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।