
किसानों को संबोधित करते गुरनाम सिंह चढूनी।
– फोटो : फाइल फोटो
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किसान आंदोलन में फिर से जान फूंकने को विभिन्न नेता अब अलग-अलग जोरआजमाइश में लग गए हैं। आंदोलन की इस कड़ी में अब रैलियों का दौर चल रहा है, जिसे किसान नेता अलग-अलग मंच से आयोजित कर रहे हैं। फोकस आज भी सिर्फ हरियाणा और पंजाब के ही किसानों पर है। इसी के चलते किसान नेताओं ने हरियाणा और पंजाब के विभिन्न इलाकों में महापंचायतों एवं किसान रैलियों का सिलसिला शुरू कर दिया है।
केंद्र व राज्य सरकार भी आंदोलन को खत्म करने की दिशा में भरसक प्रयास कर रही है। कृषि मंत्री के साथ-साथ अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को समझाने का बीड़ा उठा लिया है। इसके बावजूद किसान नेताओं ने गांव-दर-गांव महापंचायतों और रैलियां शुरू कर दी हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पिछले दिनों हरियाणा के दौरे पर रहे। उन्होंने पहली किसान रैली एवं महापंचायत जींद में की, तो दूसरी कुरुक्षेत्र के पिहोवा स्थित गुमथुलागढ़ू में। इसके अलावा उन्होंने करनाल, पानीपत जिलों में भी उन स्थलों का दौरा किया, जहां स्थानीय किसान पिछले कई दिनों से कृषि कानूनों के खिलाफ धरना जमाए हुए हैं।
हरियाणा के विभिन्न जिलों का दौरा कर न केवल टिकैत किसानों को एकजुट होने का पाठ पढ़ा गए, बल्कि इस बात का भी संकेत दे गए कि अभी यह आंदोलन और लंबा चल सकता है। उन्होंने यूपी, हरियाणा और पंजाब के बाद अब सभी प्रदेशों में किसान महापंचायतें एवं रैलियां करने का एलान कर दिया है। इरादा साफ है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसान रैलियों का दौर अब कई दिन चलने वाला है।