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नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का कहना है कि देशभर में स्कूल राज्य सरकार के निर्देशानुसार पहली अप्रैल से शैक्षणिक सत्र की शुरुआत कर सकते हैं। स्कूल नौवीं व ग्यारहवीं के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
सीबीएसई की ओर से मई-जून में दसवीं-बारहवीं की परीक्षा तिथियां जारी करने के बाद स्कूलों ने नौवीं-ग्यारहवीं की परीक्षाएं आयोजित करने व सत्र की शुरुआत करने संबंधी जानकारी बोर्ड से मांगी थी। इसके बाद बोर्ड ने स्कूलों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
सीबीएसई का कहना है कि स्कूलों को आमने-सामने की कक्षाओं में छात्रों का स्वागत करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। इस तरह स्कूल आने से छात्रों को प्रैक्टिकल व परीक्षा की तैयारी करने मेें मदद मिलेगी। वह ना केवल अपने लेखन कौशल में सुधार कर सकेंगे बल्कि अपनी शंकाओं का समाधान कर सकेंगे। शिक्षक को प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देना चाहिए जिससे बच्चे के लर्निंग गैप का मूल्यांकन हो सके।
बोर्ड ने कहा कि नौवीं व ग्यारहवीं के बच्चों के लिए स्कूलों को लर्निंग गैप की पहचान कर उनमें सुधार के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। इसके बाद स्कूल कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। इन परीक्षाओं से बच्चों के लर्निंग गैप को पहचानने मेें मदद मिलेगी। इससे स्कूल उनकी नई कक्षाओं मेें उन पर ध्यान दे सकेंगे।
नई दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का कहना है कि देशभर में स्कूल राज्य सरकार के निर्देशानुसार पहली अप्रैल से शैक्षणिक सत्र की शुरुआत कर सकते हैं। स्कूल नौवीं व ग्यारहवीं के लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल का ध्यान रखते हुए परीक्षा आयोजित कर सकते हैं।
सीबीएसई की ओर से मई-जून में दसवीं-बारहवीं की परीक्षा तिथियां जारी करने के बाद स्कूलों ने नौवीं-ग्यारहवीं की परीक्षाएं आयोजित करने व सत्र की शुरुआत करने संबंधी जानकारी बोर्ड से मांगी थी। इसके बाद बोर्ड ने स्कूलों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
सीबीएसई का कहना है कि स्कूलों को आमने-सामने की कक्षाओं में छात्रों का स्वागत करने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। इस तरह स्कूल आने से छात्रों को प्रैक्टिकल व परीक्षा की तैयारी करने मेें मदद मिलेगी। वह ना केवल अपने लेखन कौशल में सुधार कर सकेंगे बल्कि अपनी शंकाओं का समाधान कर सकेंगे। शिक्षक को प्रत्येक बच्चे पर ध्यान देना चाहिए जिससे बच्चे के लर्निंग गैप का मूल्यांकन हो सके।
बोर्ड ने कहा कि नौवीं व ग्यारहवीं के बच्चों के लिए स्कूलों को लर्निंग गैप की पहचान कर उनमें सुधार के लिए उचित कदम उठाने चाहिए। इसके बाद स्कूल कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। इन परीक्षाओं से बच्चों के लर्निंग गैप को पहचानने मेें मदद मिलेगी। इससे स्कूल उनकी नई कक्षाओं मेें उन पर ध्यान दे सकेंगे।