
प्रदेश के चंपावत जिले में चंपावत, लोहाघाट, अल्मोड़ा जिले के धौलादेवी, भिकियासैंण, चौखुटिया, द्वाराघाट, हवालबाग, बागेश्वर जिले कपकोट, गरुड़, पौड़ी के कल्जीखाल, खिसू्र, पाबौ, पिथौरागढ़ के बेरीनाग, डीडीहाट, मुनस्यारी, उत्तरकाशी के भटवाड़ी, रुद्रप्रयाग जिले के उखीमठ, अगस्त्यमुनि, जखोली, टिहरी जिले के जाखणीधार, चंबा, नरेंद्र नगर, चमोली जिले के गैरसैंण, धराली, पोखरी क्षेत्र में चाय की खेती के लिए जमीन का चयन किया गया है। जहां पर असम, मणिपुर, केरल की दर्ज पर चाय के नए बागान विकसित किए जाएंगे।
जैविक चाय उत्पादन पर सरकार का जोर
प्रदेश में वर्तमान में लगभग 14 हजार हेक्टेयर भूमि पर चाय की खेती की जा रही है। सालाना 90 हजार किलोग्राम चाय का उत्पादन किया जा रहा है। चमोली जिले के नौटी, चंपावत और नैनीताल जिले के घोड़ाखाल क्षेत्र में 485 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक चाय तैयार की जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्रीन जैविक चाय का की काफी मांग है।
प्रदेश में चाय की खेती किसानों की आमदनी बढ़ाने का एक बड़ा जरिया बन सकती है। सरकार प्रदेश में चाय की खेती का विस्तार कर रही है। इसके लिए जमीन का चयन कर लिया गया है। जल्द ही चाय के पौधों का रोपण किया जाएगा। इस खेती के लिए जमीन देने वाले किसानों को प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार भी दिया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्तराखंड की चाय को जैविक ब्रांड के रूप में पहचान दिलाई जाएगी। इसके लिए ब्रांडिंग व मार्केटिंग पर विशेष रणनीति बनाई जाएगी।
– सुबोध उनियाल, कृषि एवं उद्यान मंत्री