
स्कॉलरशिप(सांकेतिक)
– फोटो : अमर उजाला
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राज्य सरकारों की ओर से विद्यार्थियों के बैंक खातों में 40 फीसदी राशि देने के बाद ही केंद्र सरकार अपने हिस्से की राशि जारी करेगी। जनवरी 2021 से मार्च 2026 तक के लिए यह नए नियम बनाए गए हैं। आधार कार्ड पर आधारित हाजिरी होने पर ही शुल्क की भरपाई होगी। प्रत्येक वर्ष थर्ड पार्टी से योजना के तहत दी गई राशि का ऑडिट भी होगा। जिला, ब्लॉक व ग्राम स्तर पर योजना का लाभ लेने वाले 10 फीसदी छात्रों का रैंडम सत्यापन भी हर साल होगा। हिमाचल ने बीते साल से ही नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर डाटा अपलोड करना शुरू कर दिया है। राज्य के पोर्टल को बंद कर दिया है। ऐसे में प्रदेश से अपलोड होने वाला डाटा तत्काल केंद्र के अधिकारियों को दिखेगा।
अब तक केंद्र सरकार पिछली पंचवर्षीय योजना के आखिरी साल तक जितनी राशि इस मद में खर्च की गई, उससे ज्यादा राशि की मांग आने पर उस अंतर की भरपाई करती थी। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को इस माह के भीतर ही मांग भेजने को कहा है। जितनी राशि राज्य सरकार छात्रों को खातों में भेजेगी, उसके आधार पर अपने हिस्से की गणना करते हुए केंद्र भी सीधे छात्रों को डीबीटी के माध्यम से भुगतान करेगी। हिमाचल प्रदेश में करीब 15 हजार विद्यार्थियों को दसवीं के बाद की पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति मिलती है।
छात्रवृत्ति लेने को नैक और एनबीए की ग्रेडिंग जरूरी
छात्रवृत्ति के लिए शिक्षण संस्थानों के लिए भी केंद्र ने नियम कड़े किए हैं। शिक्षण संस्थानों को वर्ष 2024 तक नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रीडिटेशन (एनबीए) और नेशनल असिस्टमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नैक) की ग्रेडिंग भी लेनी होगी।
बायोमीट्रिक से विद्यार्थियों की हाजिरी लगाना अनिवार्य
केंद्र सरकार ने छात्रवृत्ति राशि लेने के लिए बायोमीट्रिक से विद्यार्थियों की हाजिरी अनिवार्य की है। यह हाजिरी उनके आधार से लिंक होगी। आधार के थंब इंप्रेशन (अंगूठे के निशान) से उपस्थिति दर्ज करने पर ही शिक्षण संस्थान को योजना का लाभ मिलेगा। विद्यार्थी को 75 फीसदी उपस्थिति पूरी करनी होगी।